आजाद-कथा - खंड 2 - 103

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कुछ दिन तो मियाँ आजाद मिस्र में इस तरह रहे जैसे और मुसाफिर रहते हैं, मगर जब कांसल को इनके आने का हाल मालूम हुआ तो उसने उन्हें अपने यहाँ बुला कर ठहराया और बातें होने लगी। कांसल - मुझे आपसे सख्त शिकायत है कि आप यहाँ आए और हमसे न मिले। ऐसा कौन है जो आपके नाम से वाकिफ न हो, जो अखबार आता है उसमें आपका जिक्र जरूर होता है। वह आपके साथ मसखरा कौन है? वह बौना खोजी ?