आजाद-कथा - खंड 2 - 96

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आजाद, मीडा, क्लारिसा और खोजी जहाज पर सवार हैं। आजाद लेडियों का दिल बहलाने के लिए लतीफें और चुटकुले कह रहे हैं। खोजी भी बीच-बीच में अपना जिक्र छेड़ देते हैं। खोजी - एक दिन का जिक्र है, मैं होली के दिन बाजार निकला। लोगों ने मना किया कि आज बहार न निकलिए, वरना रंग पड़ जायगा। मैं उन दिनों बिलकुल गैंडा बना हुआ था। हाथी की दुम पकड़ ली तो हुमस न सका। चें से बोल कर चाहा कि भागे, मगर क्या मजाल! जिसने देखा, दातों उँगली दबाई कि वाह पट्ठे।