आजाद-कथा - खंड 2 - 93

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सुरैया बेगम के यहाँ वही धमाचौकड़ी मची थी। परियों का झुरमुट, हसीनों का जमघट, आपस की चुहल और हँसी से मकान गुलजार बना हुआ था। मजे-मजे की बातें हो रही थीं कि महरी ने आ कर कहा - हुजूर, रामनगर से असगर मियाँ की बीवी आई हैं। अभी-अभी बहली से उतरी हैं। जानी बेगम ने पूछा - असगर मियाँ कौन हैं? कोई देहाती भाई हैं? इस पर हशमत बहू ने कहा, बहन वह कोई हों। अब तो हमारे मेहमान हैं। फीरीजा बेगम बोलीं - हाँ-हाँ तमीज से बात करो, मगर वह जो आई है, उनको नाम क्या है? महरी ने आहिस्ता से कहा - फैजन। इस पर दो-तीन बेगमों ने एक दूसरे की तरफ देखा।