आजाद-कथा - खंड 2 - 62

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जोगिन शहसवार से जान बचा कर भागी, तो रास्ते में एक वकील साहब मिले। उसे अकेले देखा, तो छेड़ने की सूझी। बोले - हुजूर को आदाब। आप इस अँधेरी रात में अकेले कहाँ जाती हैं? जोगिन - हमें न छे़ड़िए। वकील - शाहजादी हो? नवाबजादी हो? आखिर हो कौन? जोगिन - गरीबजादी हूँ। वकील - लेकिन आवारा। जोगिन - जैसा आप समझिए। वकील - मुझे डर लगता है कि तुम्हें अकेला पा कर कोई दिक न करे। मेरा मकान करीब है, वहीं चल कर आराम से रहो।