आजाद-कथा - खंड 1 - 17

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आजाद के दिल में एक दिन समाई कि आज किसी मसजिद में नमाज पढ़े, जुमे का दिन है, जामे-मसजिद में खूब जमाव होगा। फौरन मसजिद में आ पहुँचे। क्या देखते हैं, बड़े-बड़े जहिद और मौलवी,काजी और मुफ्ती बड़े-बड़े अमामे सिर पर बाँधे नमाज पढ़ने चले आ रहे हैं अभी नमाज शुरू होने में देर है, इसलिए इधर-उधर की बातें करके वक्त काट रहे हैं। दो आदमी एक दरख्त के नीचे बैठे जिन्न और चुड़ैल की बातें कर रहे हैं। एक साहब नवजवान हैं, मोटे-ताजे दूसरे साहब बुड्ढे हैं, दुबले-पतले।