सुनयना बोली, सेठ जी मैं जानती हूँ , कोई भी सम्मानित व्यक्ति हम जैसी औरतों से संबंध बस उतना ही रखना चाहता है जितना कि समुद्र किनारे रेत पर कोई प्यार भरे ऐसे शब्द लिख दे जिसे पढ़कर हमारा मन प्रसन्न हो जाए लेकिन अगले ही पल समुद्र की लहर आकर रेत पर लिखे प्यार को मिटा कर चली जाए।