सुबह दो लोग आए। वो उसे हंसराज जी के पास ले गए। हंसराज जी के चेहरे पर विजेता का भाव था। राखी शादी कर हमेशा के लिए लंदन चली गई है। तुम्हारे लिए अच्छा है कि उसे भूल जाओ। जा कर नई ज़िंदगी शुरू करो। हंसराज जी की कैद से छूट कर गिरीश वापस जाने के लिए बस स्टैंड पर आ गया। वह बहुत हल्का महसूस कर रहा था। एक ऐसे रिश्ते से मुक्त हुआ था जिसका कोई वजूद नहीं था। वैसे बहुत से लोग गिरीश को हारा हुआ कह सकते हैं। लेकिन ऐसे रिश्ते को कैसे बचाया जा सकता था जिसकी डोर केवल एक छोर पर बंधी थी।