हमारे समाज में मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं जिनमें सबसे प्रमुख साधन है फिल्म। अमीर गरीब, साक्षर निरक्षर हर कोई फिल्में देख कर अपना मनोरंजन कर सकता है। बच्चे किसी भी समाज का एक मुख्य अंग होते हैं। वयस्कों की तरह उन्हें भी मनोरंजन की आवश्यक्ता होती है। वह भी फिल्में देखना उतना ही पसंद करते हैं जितना बड़े। बच्चों के कोमल मनोभावों को फिल्में और भी अधिक प्रभावित करती हैं। दृश्य श्रव्य माध्यम होने के कारण फिल्मों के ज़रिए बच्चों को बहुत कुछ सिखाया भी जा सकता है।