इन्तज़ार

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कहानी रमेष खत्री 09414373188 इन्तज़ार पानी की बूंदे झोपड़ी की टीन पर अनवरत गिर रही है , टीन पर हो आये सुराखों के कारण बारिष की बूदें झोपड़ी में घुस आईं । काफी देर से ऐसा अहसास हो रहा है जैसे कोई टीन पर पत्थर फेंंक रहा हो, पूरा कमरा पानी के कारण गीला हो गया है । बरसात का मौसम तो वैसे भी सीला.सीला होता है । आज सुबह से ही मूसलाधार पानी बरस रहा है । आसमान ने काले बादलों की चादर ओढ़ ली है । बीच.बीच मेें बिजली कड़कती है और बादल हाथी की तरह चिंघाड़ने लगते