कहानी रिटायरमेन्ट रमेष खत्री 09414373188 पौधों में पानी देते हुए आज अचानक उनकी आँखें नम हो गई, ज़िन्दगी के इस पड़ाव पर आकर उनकी आँखों का इस तरह से नम होना खटकने वाली बात है । पानी के साथ ही न जाने क्या क्या बह गया जैसे जीवन की सच्चाई ही बह गई और एक कटु नग्नता अचानक ही मुँह बाये खड़ी हो गई । हालांकि इस समय तो वे पाहप को हाथ में थामे बारी बारी से पौधों में पानी दे रहे हैं । वैसे भी उनका तो पूरा जीवन ही इसी तरह से सींचते हुए ही बीता है