एक साहब का तो बयान है की मेरी शादी बिल्कुल कमसिनी में हुई और उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह मेरे माँ बाप पर है दुसरे साहब को अपनी खूबसूरती पर बड़ा नाज़ है उनका यह ख्याल था की उनकी शादी उनके सुंदर रूप के कारण ही हुई है जबकि तीसरे साहब यह फरमाते है की मेरे पड़ोस में एक मुंशी साहब रहते थे और उनकी एक ही लड़की थी मैंने तो बस सहानुभूतिवश खुद ही बातचीत की और शादी कर ली एक और साहब थे उन्हें उत्तराधिकारी के रूप में एक लड़के की ज़रूरत थी चुनांचे उन्होंने उसी धून में ही शादी कर ली मगर बदकिस्मती तो देखिये...