अध्यापक जो भूले नहीं

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अध्यापक जो भूले नहीं सुभाष सेतिया बच्चो, आप सब स्कूलों में पढ़ते जाने होंगे। ज़्यादातर स्कूलों में सहशिक्षा है जिसमें लड़कियां और लड़केे एक साथ पढ़ते हैं। इसलिए आपको अध्यापक तथा अध्यापिकाएं दोनों पढ़ाती हैं। जिस समय मैं स्कूल में पढ़ता था तब लड़के और लड़कियां अलग—अलग स्कूलों में पढ़ते थे और लड़कों को पुरूष और लड़कियों को महिला शिक्षक पढ़ाती थीं। मैं आपको आज से 50—55 साल पहले के ज़माने में ले जा रहा हूँ जब छात्र—छात्राओं तथा शिक्षकों के बीच आज जैसी निकटता और अनौपचारिकता नहीं थी। किन्तु अध्यापक—अध्यापिकाओं का ध्यान केवल परीक्षा में अच्छे अंक दिलाने पर