सुबह से उसने एक सिगार भी नहीं पिया तंबाकू ही दुनिया की वह नेमत थी जिससे वह हाथ नहीं खीच सकता था और आज तो उसे वह भी नसीब नहीं हुआ मगर उस वक्त उसे अपनी उतनी फ़िक्र नहीं थी जितनी की रफेती की होती थी रफेती नौजवान खुशहाल और खूबसूरत तथा होनहार थी और उसका जिक्र भी आज उस पर भारी हो रहा था वह अपनेआप से पूछ रहा है की मुझे क्या हक है की मैं किसी ऐसे आदमी को अपने साथ गरीबी की तकलीफें झेलने पर मजबूर करू, जिसके स्वागत के लिये सारी दुनिया बस नेमतें बाहें खोले खड़ी है इतने में चिठ्टीरसा ने पूछा...