यह व्यंग्य पढऩे से पहले अपने बचपन को जरूर याद करें कि किस तरह आप प्रेम के पीछे पागल थे। एक किशोर जब नया नया जवानी में कदम रखता है, तो उसकी क्या अनुभूतियां होती हैं, इसी भावभूमि पर इस व्यंग्य की रचना की गई है। पढ़कर आपको मजा तो आएगा ही, लेकिन आप अपने बचपन के दिनों को जरूर याद करेंगे।