ज़िन्दगी - फ़ासलों से गुज़रती रही ....

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एक संकलन है . जो टूट गए- उन ख्वाबो का … उलझे ख़्यालो का बस वो पल जब तुम्हे देखा था पहली बार। लगा - हाँ तुम ही तो हो जिसे सदियों से खोज रही हूँ …… फिर मेरी आँखे - तुम्हारे ख़्वाब … मेरा दिल - तुम्हारी बात लेकिन, तुम तो कभी थे ही नहीं …… कहीं थे ही नहीं …… फिर भी ,बैठी हूँ- अब भी - इंतज़ार है …… मगर तुम भी और ज़िन्दगी भी - फ़ासलों से गुज़रते रहे .....