चरण स्पर्श करना हमारी भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण संस्कार है. पर आज के समय में लोगों ने इसके मूल अर्थ को विकृत कर दिया है. आज लोग किसी का चरण स्पर्श तभी करते हैं, जब उनको उससे कोई मतलब निकालना होता है. और प्रायः बड़े लोग भी अपना चरण सिर्फ इसलिए स्पर्श करवाते हैं, ताकि समाज में उनकी प्रतिष्ठा बढे. मेरा यह व्यंग्य हास्य और विनोद के माध्यम से लोगों की इसी मानसिकता पर करारा कटाक्ष करता है.