यह एक व्यंग्य कथा है. इसमें मैंने एक ऐसे व्यक्ति के माध्यम से हास्य और व्यंग्य उत्पन्न करने की कोशिश की है, जो बहुत ही पढ़ा-लिखा और कुशाग्र बुद्धि वाला है. परन्तु कम पढ़े-लिखे लोग उसको पागल समझते हैं. यहाँ तक कि उसके घरवाले भी.