इस व्यंग्य रचना के माध्यम से मैंने उन लोगों पर कटाक्ष करने का प्रयास किया है, जिनको किसी भी स्थिति में चैन नहीं मिलता है. जो हमेशा इस बात का रोना रोते रहते हैं कि यह क्यों हो गया? वह क्यों हो गया?