उस दौर में जब पूरा युरोप आर्थिक महामंदी झेल रहा था और हिटलर का नाज़ीवाद अपने चरम पर था तब चार्ली किसी शीतल झोंके की मानिंद लोगों को अपने हास्य से सहला रहे थे। चार्ली ने सिखाया कि जब समय प्रतिकूल हो तो तकलीफों से हंसना सीखना चाहिए।