प्रलय और प्यास - National Story Competition-Jan

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वर्तमान युग में मनुष्य का आध्यात्मिक पतन उसकी स्थिति को बद से बदतर बना रहा है, किंतु वह इस तथ्य को समझने के लिए तैयार नहीं है । जून 2013 में बादल फटने से उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में आई बाढ़ तथा भूस्खलन से उत्पन्न विनाशकारी त्रासद स्थिति मनुष्य की सीमा और अधिक स्पष्ट करती है । देखते ही देखते क्षण-भर में हजारों लोगों का अस्तित्व मिट गया था । किंतु विडंबना की पराकाष्ठा देखिए , कि उसे विनाशकारी प्रलय के प्रत्यक्षदर्शी कथित शिव भक्त न विधाता की सामर्थ को समझ रहे थे न ही अपनी अर्थात मनुष्य की सीमाओं को । यथार्थ घटना पर आधारित व्यक्ति की अज्ञानता जनित संवेदनहीनता को कलात्मक रूप देकर प्रलय और प्यास में प्रस्तुत किया गया है ।