यह कहानी अन्धविश्वास से सम्बंधित है कुछ लोग धर्म के प्रति इतने ज्यादे विश्वासी हो जाते है कि उन्हें इसके आगे-पीछे कुछ नहीं दीखता धर्म के प्रति अत्यधिक आसक्ति लोगों को कमजोर बना देती है ऐसी ही कमजोरी का कुछ लोग फ़ायदा उठाकर ठगी करते है और धर्म बदनाम होता है लेकिन हम भारतवासी इतने धर्मभीरु है कि चाहकर भी इससे उबर नहीं पाते लेकिन दृढ़संकल्प से दुबिधा कि बेड़ियाँ कट जाती है यदि हम संकल्प कर ले कि धर्म को तो मानेंगें लेकिन धर्म के नाम पर हो रहे पाखंड, आडम्बर को अपने अस-पास भी नहीं भटकने देंगें तो सही में हम अपना और धर्म दोनों का कल्याण कर पायेंगें