जनवरी २०१८ की कविताएं

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जनवरी २०१८ की कविताओं में जीवन के यथार्थ, संघर्षों, अनुभूतियों की रचनाएं हैं। जैसे उन दिनों प्यार करने को और कुछ था भी नहीं तुम्हारे सिवाय, न सिरफिरा मौसम था न बादलों की झुकी लट थीं न नदियों के घुमाव थे न बर्फ से ढकी पहाड़ियां थीं, सच कहूँ तो कुछ दिखता ही नहीं था। इन दिनों कहने को और कुछ है भी नहीं एक ईश्वर है वह भी अकेला है। महेश रौतेला