एक आदिम रात्रि की महक

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एक आदिम रात्रि की महक (फणीश्वरनाथ रेणु) फणीश्वर नाथ रेणु की छोटी कहानियों के संग्रहो मे से प्रमुख रचना है और इस कहानी का नाम है ’आदिम रात्री की महक’। यह मानव करुणा का एक बढ़िया उदाहरण है और हम जिस जगह में रहते हैं तथा अपने आसपास लोगो जानवरो तथा चीजो से से जो लगाव और बंधन हमारे जीवन मे विकसीत होता है। उसे बड़े बारीक तरीके से इस कहानी मे उकेरा गया है। रेणु यह कहना चाहता है कि प्रेम की भावना एक व्यक्ति (इंसान) की एकमात्र आंतरिक गुणवत्ता है जो वह उनके साथ करती है और इस प्रकार यह गुण केवल एक प्राचीन रात्रि की सुगंध के रूप में कहा जा सकता है। एक व्यक्ति के जीवन के हर रूप में प्रेम की यह चेतना मौजूद है कि क्या वह एक समृद्ध समुदाय से संबंधित है या वह गरीब है, जिसका घर है जहां उसका शरीर है। हर व्यक्ति में मौजूद प्रेम की भावना उसके विशालता में समान है यह केवल उस प्रेम की अभिव्यक्ति है जो हर व्यक्ति में अलग है यह एक अनाथ लड़के की प्रेम कहानी है जो रेलवे बाबुओं (अधिकारियों) की सेवा में बड़ा हुआ। वह लड़का जिसे किसी के द्वारा कभी प्यार नहीं किया गया था, लेकिन वह हर किसी से और उसके चारों ओर सब कुछ प्यार करता था रेलवे स्टेशन उसका जीवन था। रेलवे पटरियों और उनके संकेत कर्मा (लड़के के नाम) रक्त में हैं वह उस दिन से एक दिन दूर नहीं रह सकता। वह बचपन से ही एक रेलवे स्टेशन से दूसरे रेलवे स्थान पर बाबु के साथ स्थानांतरण करता रहता है। लेकिन समय आ गया है कि अब उसे अपनी यात्रा बंद करने का फैसला करना है क्योंकि उसे एक लड़की से प्यार हो जाता है किंतु यात्रा से उसका लगाव इतना मजबूत है की वो फैसला नही कर पा रहा। उसे अकसर रात्री को एक महक आगोश मे ले लेती है जिसे वो आदिम रात्री की महक कहता है उसे अब उस जगह से प्यार हो गया था और आखिरकार जब वो अपने रेलवे बाबू के साथ ट्रेन मे बैठ जाता है तो उसे एक खास गंध उसे रोकने लगती है और वो चलती ट्रेन से उतर जाता है।