तुमपर की कविताएँ

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कुछ बिखरी हुई कविताएँ हैं। जो चार से पांच साल पहले लिखी गई थी। अब समस्या यह है कि कविताएँ लिखकर मैं खुदको “कवि” समझने लगा था। लेकिन समय ने ये भ्रम तोड़ा, और अब मैं किसी भी प्रकार के भ्रम में नहीं हूँ। मैं स्वीकार करता हूँ कि मैं अभी नहीं लिख पाता। और लगातार कोशिश कर रहा हूँ लिखने की। आगे भी करता रहूंगा।