वर्तमान भौतिकवादी युग में मनुष्य का इतना ह्रास हो रहा है कि स्वार्थ के चलते घृणित से घृणित षड्यंत्र करने में भी व्यक्ति को संकोच नहीं होता है । प्रस्तुत कहानी संत जी बनाम 512 एक ऐसी ही सत्य घटना पर आधारित है जिसमें पिता का दोहरा चरित्र उस समय प्रकाश में आता है जब उसके नाती को ज्ञात होता है कि संत जी अर्थात उसका नाना ही वह व्यक्ति है जिसने संपत्ति के लालच में अपनी बेटी की हत्या का षड्यंत्र रच कर उसका पूरा परिवार बर्बाद कर दिया । कहानी का पहला आधा भाग प्रस्तुत है ।