लड़की, एक्सीडेंट, परिवार, बच्चे और प्रेम का घालमेल, व्यंग्यात्मक लहजे में ! इतवार की सुबह तो रिटायर्ड बाबू भी देर से जागते हैं, वो तो लड़का, ओह लड़का नहीं दो जवान होते लड़कों का पापा ही तो था ! थोड़ी देर से ही सही, नींद खुलते ही होम मिनिस्ट्री से आदेश मिला - बच्चों को इंस्टिट्यूट जाना है मेट्रो तक छोड़ आइये !