498A के शिकारी

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सलोनी आपे से बाहर हो रही थी। मिसिज़ जोशी आगे बढ़ कर उसे रोकती उससे पहले ही उसने आग पर लाल होती करछी को अपनी कलाई पर लगा दिया। “आह ह ह..” सलोनी दर्द की वजह से ज़ोर से चिल्लाई। “सलोनी..” कंवल सलोनी की तरफ भाग और उसके हाथ से गर्म करछी ले कर दूर फेंक दी। “सलोनी, ये क्या किया तुमने” कंवल सलोनी के दर्द को महसूस करता बोला। आगे क्या होने वाला है इस बात से अनजान सलोनी को डॉक्टर के ले जाने को भागा पर सलोनी के शब्द सुन कर ठिठक गया और नफरत से सलोनी को एक तरफ धक्का दे दिया।