दबंगई वाले पूर्ण आश्वस्त होते हैं कि टिकट उनकी बपौती है निरीहों को, शंका के बादल घेरे होते हैं उनकी पत्नियां घर घुसते ही दागती हैं ,बात बनी ... वे सर झुकाए यूँ खड़े हो जाते हैं ,जैसे क्लास में होमवर्क करके न गये हो. मगर जैसे ही एहसास होता है कि इस घर के वे ही सर्वेसर्वा हैं, उनकी जुबान में धार लग जाती है, डॉट पिलाते हुए कहते हैं,कितनी बार कहा है.......