फिर उठ, निरंतर चल चला चल

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इस कविता में जीवन में मिलने वाली सफलता और असफलताओं की बात की गई है! पुराणों के पात्रो की मिसाल देकर बताया गया है की कैसे धर्म की जीत और अधर्म की हार होती है! कैसे हार और जीत के बारे में सोचे बिना कर्म करने की बात की गई है जानने के लिए पूरी कविता पढ़े....