पराभव मधुदीप भाग - बीस मनोरमा एक निश्चय करके घर से निकल तो आई थी मगर उसका मन भय से डर रहा था | वह स्वयं को असुरक्षित अनुभव कर रही थी | पति कैसा भी था, उसके साथ रहते हुए उसने स्वयं को इतना असुरक्षित तो कभी नहीं समझा था | आज वह स्वयं को बहुत ही कमजोर महसूस कर रही थी | बच्चे रास्ते पर एक हाथ में ट्रंक लिए और दुसरे से कृष्ण का हाथ पकड़े वह तेजी से बढ़ी जा रही थी | उसने समय का अनुमान लगाया, लगभग तीन बजे थे | गाड़ी साढ़े तीन