पराभव मधुदीप भाग - सत्रह मनोरमा चारों ओर से निराश हो चुकी थी | हारकर उसने शहर से रंजन को बुलाने के लिए पत्र लिखा था | रंजन को इस गाँव में आए चार वर्ष से भी अधिक समय हो गया था | मनोरमा के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के बाद वह स्वयं भी अपने को दोषी अनुभव करने लगा था | मित्रता के कारण वह श्रद्धा बाबू की बात को ठुकरा नहीं सका था मगर अपने संस्कारों के कारण वह अपने आपको पतित महसूस करने लगा था | थोड़े दिन बाद ही जब उसका ट्रांसफर एक दूर के शहर