ये दुनिया इतनी बड़ी नहीं कि मुट्ठी में न समा सके .... आप की वाणी इतनी सरल –सहज हो कि हरदम , ‘सर्व जन हिताय, सर्व जन सुखाय’ की भाषा बोले आजकल अनुवादक लोगो की भीड़ है बिना मिर्च-मसाला लगाए भी अनुवाद की अनंत गुंजाइश रहती है आप संसार में छा जाने लायक कोई काम तो करें ,कीर्ती का पताका दूर से नजर आने लगेगा