पराभव मधुदीप भाग - बारह श्रद्धा बाबू घर में पहुँचा तो वहाँ एक कोहराम-सा मचा हुआ था | बर्तनों के इधर-उधर फेंके जाने, माँ के चिल्लाने और मनोरमा के सिसकने का मिश्रित स्वर सुनाई पड़ रहा था | वह स्वयं में ही बहुत अधिक दुखी था और घर लौटने पर इस क्लेश ने उसे बिलकुल ही खिन्न कर दिया | उसका दिल चाह रहा था कि वह इस समय घर न जाकर वापस कहीं लौट जाए मगर फिर भी वह शिथिल कदमों से चुपचाप अपने कमरे में जाकर लेट गया | श्रद्धा बाबू की मानसिक शान्ति समाप्त हो चुकी थी