‘वैसी’ लड़की

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कामिनी ने उसे जिस दलदल में फँसाया था, नीतू को उसमें मज़ा आ रहा था. बड़े शहर की चकाचौंध में उसे असलियत दिखायी नहीं दे रही थी. कभी-कभी उसका मन, उसे ये सब करने को रोकता भी था, लेकिन उसने अपनी ज़िन्दगी का एक लम्बा दौर ग़रीबी में जीया था, इसलिए अब वो ज़िन्दगी से एक तरह का बदला ले रही थी. लेकिन वो ये नहीं देख पा रही थी कि ज़िन्दगी से इस जंग में वही हार रही थी.