पराभव - भाग 5

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पराभव मधुदीप भाग - पाँच समय किसी तीव्र गति रेलगाड़ी की भाँती तेजी से भागता जा रहा था | श्रद्धा बाबू के विवाह को पाँच वर्ष व्यतीत हो चुके थे | सब सुख-सुविधाओं से पूर्ण घर भी बिना बच्चों की किलकारियों के सूना-सूना-सा लगता था | मनोरमा की गोद खाली थी और श्रद्धा बाबू के कान बच्चे की तुतलाहट भरी आवाज सुनने को तरस रहे थे | उसके जीवन में किसी तरह का अभाव न था | विद्यालय दिन-प्रतिदिन प्रगति कर रहा था | आर्य समाज संस्थान और श्रद्धा बाबू के सहयोग और परिश्रम का ही फल था जो की