पराभव मधुदीप भाग - तीन श्रद्धा बाबू की स्वीकृति लेकर उसकी माँ मास्टर जसवन्त सिंह के पास चल दी | मास्टरजी को क्या देरी थी, उन्होंने उसी समय पण्डित बुलाकर अगले माह में ही विवाह का मुहूर्त निकलवा लिया | दोनों ओर से विवाह की तैयारियाँ होने लगीं | यधपि मास्टरजी विवाह में लेन-देन के पक्ष में नहीं थे तो भी वे अपनी हैसियत के अनुसार बेटी को सब कुछ दे देना चाहते थे | विवाह से बीस दिन पूर्व वे मनोरमा को लेकर अपने गाँव चले गए थे | वे अपनी बेटी का विवाह अपने पूर्वजों के घर से