ख्वाबो के पैरहन - 12

(18)
  • 8.1k
  • 2.7k

वे जो जानना चाहती है, कैसे पूछें इस लडकी से कैसे जानें कि शाहजी से वह संतुष्ट है, अथवा नहीं? कोई उपाय नहीं, वे निरुपाय सी आँखे बंद किए पड़ी रही ताहिरा धीमे धीमे बाम मलती रही कब उनकी आँखे लगी पता ही नहीं चला कब ताहिरा धीमे से उनका सिर गोदी से उठाकर तकिये पर रखकर चल दी यह भी उन्हें पता नहीं चला या अल्लाह! कैसा खौफनाक ख्वाब था वह! वह कांप रही थी देह पसीने से भीगी थी, पूरे कमरे में अँधेरा फैला हुआ था उनके भीतर भी पोर पोर में अँधेरा फैलता जा रहा था नहीं... ऐसा नहीं हो सकता