जुहू बीच

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लोग देख रहे थे कि मैं भगवान की मूर्ति के साथ छेड़-छाड़ कर रहा हूँ. मगर किसी ने मुझसे कुछ कहा नहीं. मूर्ति पूरी रेत से सनी हुई थी. मैंने अगली लहर में मूर्ति को धोने के इरादे से पानी में डाला, तो लहर इतनी तेज़ थी कि गणेश जी का सिर का हिस्सा मेरे हाथ में रह गया और उनकी पीठ टूट गई.