चंद्रगुप्त - चतुर्थ - अंक - 42

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सिल्यूकसने मेगास्थनीज से सत्य जानना चाहा, शब्द चाहे कितने भी कटु हों पर वो सत्य जानना चाहता था, सुनना चाहता था. मेगास्थनीजने कहा की चाणक्य ने एक और भी अड़ंगा लगाया है, उसने कहा है की सिकन्दर के साम्राज्य में जो भावी विप्लव है, वह मुझे भलीभांति अवगत है. पश्चिम का भविष्य रक्त रंजित है, इसलिए यदि पूर्व में स्थायी शान्ति चाहते हो तो ग्रीक सम्राट चन्द्रगुप्त को अपना बंधू बना ले. सिल्यूकस को बात समझ में नहीं आई उसे मेगास्थनीज को पूछा, मेगास्थनीज ने कहा की चाणक्य राजकुमारी कार्नेलिया का विवाह सम्राट चन्द्रगुप्त से करवाना चाहते हैं सिल्यूकस यह सुन कर गुस्सा हो गया और कहा....